इसी ‘पल’ में छिपा है आपके शानदार “भविष्य” का राज

सक्सेस’ और ‘खुश’ लोग अपनी लाइफ और एक्सपीरियंस को अलग तरीके से देखते हैं ।

  • जब वे किसी अंधेरी सुरंग में चले जाते हैं और कुछ दूर जाकर उन्हें अहसास होता है कि उन्हें कोई रोशनी नज़र नहीं आ रही है तो उनके सामने दो ऑप्शन होते हैं – एक तो बैठ जाएं और शिकायत करने लगे या आगे की ओर बढ़ते जाएं । वे दूसरा ऑप्शन चुनते हैं ।
  • थॉट आपकी असलियत को साकार करने की ओर पहला कदम है । अभी , इस पल आप कुछ कर सकते हैं । अपनी सोच को अमल में ला सकते हैं और उसे हासिल कर सकते हैं ।

  • आपकी एकमात्र रियलिटी आपका प्रेजेंट है । यह जो पल आपके सामने है बस यही आपके पास है । खुद से पूछ कर देखिए कि आप इस पल क्या कर रहे हैं । क्या आप ऐसा कुछ कर रहे हैं , जिससे आपको आगे बढ़ने में मदद मिल रही है । क्या आप ऐसा कुछ कर रहे हैं , जो आपको अपने टारगेट की ओर ले जा रहा है ? क्या ऐसा कुछ कर रहे हैं जो आपको खुशी दे रहा है ।

  • कई लोग पास्ट में ही रहते हैं । उससे बाहर ही नहीं आते । इसका मतलब है कि वे पास्ट के बारे में सोचते हुए प्रेजेंट बीता रहे हैं । उनके सामने मौजूद टाइम को खर्च कर रहे हैं । यदि आप मन की आंखों से किसी बुरे या अच्छे एक्सपीरियंस को देख रहे हैं , उसे इमैजिनेशन में साकार कर रहे हैं , जो पास्ट में आपने जिया था तो क्या यह ऐसा सीन है जो आपको आगे ले जा रहा है ?

“बुद्ध” ने कहा है , “भूतकाल में मत रहो । वर्तमान में , इस पल पर अपना ध्यान केन्द्रित करो । मेरी भूतकाल की उपलब्धियों ने मेरा वर्तमान बनाया । लेकिन सच यह है कि यह मेरा भविष्य बनाने के लिए कारगर साबित नहीं होगा। यदि हम उल्टी दिशा से सोचें तो मेरी नाकामियों ने मेरा वर्तमान निर्माण किया है । लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं भविष्य में भी उसकी तकलीफें झेलता रहूं । मुझे तो आज ऐसा कुछ बदलना है , जो मेरी आज की दशा के लिए जिम्मेदार है।”

  • कई लोग ‘भाग्य’ को उनकी खराब दशा के लिए ब्लेम करते हैं और वे शिकायत करते रहते हैं उसके बारे में जो उन्हें अब तक भुगतना पड़ा है । वे यह नहीं समझ पाते कि वह पास्ट के बारे में सोचकर और बोलकर अपना प्रजेंट बर्बाद कर रहे हैं ।
  • सक्सेस पाने वाले और खुश लोग पीछे मुड़कर पास्ट के बारे में सोचते नहीं रहते । पास्ट में जो कुछ भी हुआ वे उससे सीखते हैं । इस सीख को वे प्रेजेंट पर लगाते हैं और शानदार फ्यूचर का निर्माण करते हैं ।

“जॉर्ज बर्नार्ड शॉ” ने कहा है कि है कि पास्ट की यादों के कारण हम बुद्धिमान नहीं बने हैं बल्कि फ्यूचर की हमारी जिम्मेदारी के कारण ऐसा हुआ है ।

  • यदि आप किसी नाव पर सवार हैं और बैठकर पास्ट के बारे में सोचें तो नाव नहीं चलेगी । आप अपने टारगेट कि ओर नाव चलाना शुरू कर दें । आप अपनी प्रेजेंट का इस्तेमाल करें और जो फ्यूचर चाहते हैं , उसकी ओर बढ़ जाएं । थॉट ही वह औजार है जो आप को आगे ले जाएगा लेकिन , पॉजिटिव थिंकिंग जरूरी है ।

जंगल में कोई हिरण खुद शेर की मांद में नहीं पहुंचता उसे शिकार करना पड़ता है ।

इसी तरह हमें भी प्लानिंग को अमल में लाना होगा ।

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